भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए ठोस कदम उठाए मोदी सरकार: मेघालय हाईकोर्ट के जज

 


जस्टिस एसआर सेन ने कहा कि बंटवारे के बाद भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था. इन चीजों का महत्व केवल मोदी सरकार समझ सकती है.


नई दिल्ली: मेघालय हाईकोर्ट के जज ने सोमवार को कहा है कि बंटवारे के बाद ही भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था और अगर किसी ने इसे इस्लामिक मुल्क बनाने की कोशिश की तो यह भारत और पूरे विश्व के लिए काला दिन होगा.


जस्टिस एसआर सेन ने आगे कहा, 'इन चीजों का महत्व केवल श्री नरेंद्र मोदीजी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार ही समझ सकती है और इसके लिए उसे ठोस कदम उठाना चाहिए. हमें उम्मीद है कि हमारी मुख्यमंत्री ममताजी राष्ट्रहित से जुड़े इस मुद्दे का समर्थन करेंगी.'


निवास प्रमाण पत्र का मामला


कोर्ट में सेना के नए प्रशिक्षु अमन राना की याचिका की पर सुनवाई चल रही थी, जिन्हें मेघालय सरकार द्वारा मूल निवास प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया गया था.


जस्टिस सेन ने कहा, 'निवास प्रमाण पत्र को लेकर दिक्कतें झेलने वाले नागरिकों का दर्द मैं समक्ष सकता हूं और स्थायी निवास प्रमाण पत्र जो कि आज एक गंभीर मुद्दा बना है, वह भारतवर्ष के पुनर्निमाण से दूर हो सकता है.'


उन्होंने आगे कहा, 'मेरी नजर में एनआरसी की प्रक्रिया दोषपूर्ण है जिससे बहुत सारे विदेशी नागरिक भारतीय बन गए जबकि कई भारतीय इससे वंचित रह गए जो कि दुखद है.'


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जज ने नागरिकता पर अपनी राय रखते हुए कहा, 'हर वह व्यक्ति जिसे भारत के संविधान और न्याय व्यवस्था में यकीन नहीं है, वे भारत के नागरिक नहीं माने जा सकते हैं.' और इस तरह से उन्होंने इस मुद्दे को बंटवारे की तरफ मोड़ दिया.


भारत एक हिंदू राष्ट्र होना चाहिए


जस्टिस सेन ने आगे कहा, 'जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत विश्व में सबसे बड़ा राष्ट्र था और उस समय पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसा कुछ भी नहीं था. ये सब एक राष्ट्र थे और हिंदू साम्राज्य द्वारा संचालित होता था फिर उसके बाद मुगलों का भारत आगमन हुआ और उन्होंने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में जमकर लूटपाट मचाया और उसी समय ढेरों धर्मांतरण कराए गए.'


'उसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम पर अंग्रेज भारत आए और भारत पर शासन करना शुरू कर दिया और भारतीयों को इस कदर प्रताड़ित किया कि देश में स्वतंत्रता संग्राम शुरू हो गए और 1947 में भारत आजाद हो गया और इसी के साथ भारत के दो टुकड़े कर दिए गए. एक पकिस्तान और दूसरा भारत.'


'इस बात में कोई शक नहीं कि बंटवारे के समय लाखों सिखों और हिंदुओं को मौत के घाट उतारा गया, उनको प्रताड़ित किया गया, उनके साथ बलात्कार किया गया और अंत में उन्हें अपनी इज्जत और आबरू बचाने के लिए देश छोड़ने को मजबूर होना पड़ा.'


उन्होंने यह भी कहा, 'पाकिस्तान ने अपने आप को इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर लिया है और भारत, जिसे धर्म के आधार पर बांटा गया था, उसे भी हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था, लेकिन वह धर्मनिरपेक्ष बन कर रह गया.'


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'यहां तक कि आज भी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रह रहें हिंदुओं, सिखों, जैनों, बौद्धों, इसाइयों, पारसियों, खासी, जयंतिया और गारो समुदाय के लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है और उनके पास कहीं और जाने का चारा नहीं बचा है और जो हिंदू बंटवारे के समय भारत आए, वे आज भी विदेशी समझे जाते हैं, जो कि मेरी समझ में बहुत ही मूर्खतापूर्ण और गैरकानूनी है और सामाजिक न्याय की अवधारणा के विरुद्ध है.


देश और उसके लोगों को बचाओ


कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जजमेंट की एक कॉपी माननीय प्रधानमंत्री, माननीय गृहमंत्री और माननीय कानून मंत्री को प्रदान किया जाना चाहिए, ताकि वह इससे जुड़े आवश्यक कदम उठाते हुए पहले ही भारत आ चुके हिंदुओं, सिखों, जैनों, बौद्धों, इसाइयों, पारसियों, खासी, जयंतिया और गारो के अलावा पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान से वापस आने में लगे और विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोग जिनका ऐतिहासिक इतिहास रहा है, उनके हितों की रक्षा की जानी चाहिए.


जज ने यह भी स्पष्ट किया, 'वह पीढ़ियों से भारत में रह रहे और भारत की कानून व्यवस्था में भरोसा रखने वाले मुस्लिम भाइयों और बहनों के खिलाफ नहीं हैं और उन्हें शांति से रहने देना चाहिए.'